Monday, 16 March 2015

अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा अपने पुत्र के शिक्षक को लिखे पत्र का हिंदी अनुवाद और उसकी आज के युग में प्रासंगिकता : डा. शीशपाल हरडू

अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा अपने पुत्र के शिक्षक को लिखे पत्र का हिंदी अनुवाद और उसकी आज के युग में प्रासंगिकता : डा. शीशपाल हरडू
साथियों, अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा अपने पुत्र की शिक्षा व व्यक्तित्व निर्माण हेतु उसके शिक्षक को को लिख गया पत्र प्राचीन कालीन भारतीय गुरुकुल शिक्षा के कितना करीब ले जाती है यह विचार और युवा वर्ग के लिए अध्ययन का तो विषय है ही, साथ में सही मायने में शिक्षा का अर्थ भी दे रहा है, इसी सोच के साथ पत्र का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ _
प्रिय शिक्षक, मेरे बच्चे को समझाए कि सभी व्यक्ति न्यायी और सच्चे नहीं होते फिर भी दुष्टों के प्रतिरोध के लिए शूरवीर होते है I उसे बताएं कि प्रत्येक शत्रु के बदले एक मित्र भी होता है , उसे सिखाएं कि ख़ुद कमाया हुआ एक डॉलर पाए गए पांच डॉलर से ज्यादा कीमती व मूल्यवान होता है , उसे इर्ष्या से दूर रहना भी सिखाएं I उसे आप खेल भावना से हारना सिखाएं और विजयी होने का आनन्द लेना भी सिखाएं I उसे हाँ में हाँ मिलाने वालों से दूर रहने व आलोचकों का सम्मान करने की सीख दें I उसे विनम्र के प्रति विनम्र व कठोर के प्रति कठोर व्यवहार करने की सीख भी दें I उसे दु:ख में हँसाना सिखाएं और यह भी बताये कि रोना शर्म की बात नहीं होती I उसे सिखाएं कि अपना मष्तिष्क तो वह सबसे ऊँचे मूल्य पर बेचे परन्तु अपनी आत्मा व मूल्यों को बिकाऊ न समझे I उसे चीखने, चिल्लाने वाली उग्र भीड़ की तरफ से कान बंद करना सिखाएं I शिक्षा स्नेह से दें परन्तु गलती करने पर डांटे भी क्योंकि अग्नि में तपकर ही लोहा फौलाद बनता है I उसे अपने में विश्वास करना सिखाएं क्योंकि तभी वह ईश्वर और मानवता में विश्वास कर सकेगा I
प्रिय शिक्षक, यह आपसे बहुत बड़ी उम्मीद है परन्तु आप जो कर सकते है , अवश्य करें, बहुत प्यारा नन्हा सा बच्चा है मेरा पुत्र I
उपरोक्त पत्र एक पिता की वास्तविक उम्मीद का न केवल नमूना है बल्कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य और शिक्षक की भूमिका भी बताता है और भारतीय शिक्षा का दर्शन भी बताता है I यह पत्र ये भी बताता है कि आज  हमें केवल साक्षर नहीं शिक्षित होना है तथा केवल किताबी ज्ञान समाज व राष्ट्र निर्माण नहीं होता बल्कि व्यावहारिक शिक्षा आवश्यक है I  सही मायने में शिक्षा का अर्थ किताबी ज्ञान के अतिरिक्त कुछ नया सोचने, नया करने और नया समझने को प्रेरित करते हुए सदभाव बढाने व सहानुभूति पैदा करने वाली होती है I शिक्षा न केवल आर्थिक समृद्दी लाये बल्कि विचार, चरित्र, स्वास्थ्य के साथ साथ  सामाजिक व नैतिक पक्ष भी मजबूत करें I हालांकि ये सब बातें आदर्शवादी व काल्पनिक लगती है परन्तु इस सच्चाई से इंकार करना भी अपनी जिम्मेदारी से भागना है I
10/03/2015


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