Thursday, 12 March 2015

युवा शक्ति की भूमिका- डा शीशपाल हरडू

  
 युवा यानि वायु अतार्थ सदा चलनशील, वेगशील और ताजगीपूर्ण रहने वाली अवस्था इसीलिए युवा को योवन व ताजगी का पर्याय माना जाता है, योवन उर्जा व ओजस्वी होने का प्रतीक और उसमें जोश, साहस व संकल्प का संगम होता है I युवा में उर्जा बहुतायता रहती है तथा उर्जा का आंतरिक नियम है की इसे दबाया नहीं जा सकता बल्कि इसका प्रयोग ही करना होगा , यह प्रयोग करने वाले पर निर्भर रहता है की वो इसका सदुपयोग करे या दुरूपयोग I सदुपयोग योवन को निरंतर ताज़गी और लम्बी अवधी देता है वहीँ दुरूपयोग से योवन हिंसक होकर अल्प अवधि में ही समाप्त हो जाता है I इसलिए युवा में जोश तो रहता ही है परन्तु उस जोश को होश रखते हुए उपयोग करें तो समाज में सृजनात्मकता आएगी, उन्नति को अग्रसर होगा और नवनिर्माण भी I कहते है की बुजुर्ग जीता है अतीत में और योवन जीता है भविष्य की कल्पनाओं में  और इन कल्पनाओं को साकार व सुंदर बनाने के लिए युवा को अपनी शक्ति जोश व होश के साथ सकारात्मक क्रियाओं में लगानी चाहिए I
ज़िन्दगी के दो पहलु होते है ,पहला सरल व आसान यानि अल्प सुखमयी और दूसरा मुश्किल व कठिन यानि स्थायी सफलतामय I जब आप कठिन राह यानि चुनौतियां चुनते है तो आपकी ज़िन्दगी में मुश्किलें तो बहुत सी आती है लेकिन उस मुश्किल दौर को पार करने के बाद आप मजबूत व परिपक्व हो जाते है I फिर आप किसी मुशील से घबराते नहीं बल्कि उनको अवसर समझ कर चुनौतिपुर्वक सामना करते है और सफलता का वरण करते है I जो व्यक्ति हिम्मत व होंसले से काम करते है, दृढ निश्चयी होते है, विपरीत परिस्थितियों का डटकर बहादुरी के साथ सामना करते है, अपने आचरण को कालिख़ से बचाकर रखते है उनकी मंज़िल थोड़ी दूर बेशक हो मगर प्राप्त जरुर होती है और वो भी सुखद व स्थायी I कहते है “सत्य परेशान करता है पराजित नहीं”  क्योंकि सत्य को याद नहीं रखना पड़ता और ये कभी भूलता भी नहीं, इसके मार्ग में मुश्किल बेशक आ सकती है मगर जीत हमेशा सत्य की ही होती है इसलिए सत्य का मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग होता है I
साथियों, इस धरती पर देव भी है और दुष्ट भी है मगर आप किसको क्या दे सकते हो और किससे क्या ले सकते हो, यह पूर्णतया आप पर निर्भर करता है I जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि अतार्थ जिस तरह आप व्यवहार करोगे वैसा ही व्यवहार आपको मिलेगा, अगर सकारात्मक है तो आप देव है क्योंकि आप अपनी उर्जा से सृजन कर रहे है और अगर आप नकारात्मक है तो आप दुष्ट की श्रेणी में आयेंगे क्योंकि आप अपनी उर्जा से विनाश कर रहे है I इसलिए अपनी शक्ति व उर्जा  सकारात्मक व सृजनशील कार्यों में लगाते हुए अपनी भूमिका और उपस्थिति दर्ज़ करवाए I जीवन में कुछ पाना है तो आपको नियम व नम्रता के साथ प्रयत्न करते हुए संयम व सुमार्ग पर चलते हुए अपने अन्दर ललक व लालसा जगाते हुए क्रिया करनी होगी तभी आपको इच्छित मुकाम मिल सकता है और अपनी उर्जा का आप श्रेष्ठ उपयोग कर सकते हो I
व्यक्ति को तीन चीजे बिना  प्रयास के ही मिलती है जन्म, मृत्यु और असफलता, इनके लिए आपको कोई अलग से कोई प्रयास या प्रयत्न नहीं करना होता जबकि तीन चीजे आपको आपकी किस्मत से मिलती है माँ, बाप और गुरू अत: इनका सम्मान करते हुए इनकी योग्यता, गुण, विलक्षणता और सानिध्य का भरपूर उपयोग करते हुए लगातार इनसे शिक्षा लेनी चाहिए I कहते है की माता-पिता भगवान के साक्षात् प्रतिनिधि होते है और गुरू मार्गदर्शक, इसलिए इन्हें हमेशा प्रसन्न और खुश रखना चाहीए और इनकी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी ढूढनी चाहिए I इनकी प्रसन्नता में भगवान की प्रसन्नता छिपी होती है अत: इन्हें हमेशा खुश रखना चाहिए व इन्हें कोई कष्ट नहीं देना चाहिए I जो अपने माता-पिता व गुरू का अपमान व अनादर करता है वह कभी भी और कहीं भी न तो सफल हो सकता और न ही खुश I व्यक्ति को तीन चीजे केवल प्रयत्न से ही मिलती है  सफलता, अधिकार और ख्याति, इसलिए धेर्य व परिश्रम से सफलता प्राप्त करें,मेहनत व योग्यता से अधिकार हासिल करें तथा धर्म, निष्ठा व न्यायपूर्ण क्रियाओं से ख्याति अर्जित करे और इन तीनों को भगवान के प्रतिरूप माता-पिता की सेवा में अर्पित करते हुए कर्म करे I
आज का युवा पांच एम् यानि अपने अभिभावकों के पैसा (मनी) से महंगा मोबाईल व मोटरसाइकिल लेकर म्यूजिक व मदिरा के साथ मस्ती करता है जो न केवल माँ-बाप को धोखा है बल्कि अपना कल खत्म कर लेता है और जीवन को भर बना लेता है I प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चे को “बेस्ट” देना चाहता है जबकि बच्चा “वेस्ट” बन कर न केवल उनके सपने धराशायी कर रहा है बल्कि सम्पूर्ण घर को बर्बाद कर रहा है I  आज अर्थहीन, बेतुके व सस्ते संगीत ने समाजिक परम्परा का जनाज़ा निकाल दिया है वहीँ शराब और सिगरेट ने न केवल जवानी छीन ली बल्कि जानलेवा बीमारी का हर मुफ्त में गले में डाल दिया I आज स्वस्थ संस्कार, स्वस्थ समाज, स्वस्थ संस्कृति और स्वस्थ विचार की आवश्यकता है और इस तरह की क्रांति युवा खून, जोश व जनून से ही सम्भव हो सकती है जो अपनी सीमा भी समझे व कर्तव्य भी तथा इस क्रांति को समर्थन अनुभव, होश व तजुर्बे का भी मिलना चाहिए I
युवा, युवा रहे इस हेतु उसे युवा की भांति आचार, विचार व व्यवहार करना चाहिए, युवा की माफिक रहन सहन ,खानपान व आहार लेना चाहिए, युवा की तरह कर्म, मेहनत व  निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ना चाहिए , युवा को अनुशासन, उत्तरदायित्व व कर्तव्यक्षमता में स्थायित्व लाना चाहिए तभी हम अपनी भूमिका का सही व सार्थक रूप से निभाते हुए स्वस्थ, स्वच्छ, सुंदर, सार्थक व सुविकसित देश, प्रदेश, समाज, परिवार और व्यक्तिगत छवि का निर्माण हो सके और खुशहाल व सफल जीवन जी सके I
12/03/2015     

  

No comments:

Post a Comment