आत्मविश्वास और साहस ही है सफलता का साधन – डा. शीशपाल हरडू
साहस से आशय उस आंतरिक शक्ति से है जो
किसी व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है I साहस को प्रभावित करने वाले
मुख्य तत्व है एहसास, दृष्टिकोण और भावना I साहस समृद्दी की राह बनता है और साहस
बिना सफलता प्राप्त नहीं हो सकती I साहस हेतु मनुष्य में तत्परता, सतर्कता, उद्दयम
और दृढनिष्ठा नामक गुण होने आवश्यक है वहीँ लगन,हिम्मत, आत्मविश्वास और मनोबल के
बिना कोई भी लक्ष्य या मंज़िल नहीं मिल सकती I यह शरीरिक बल, मनोबल और धनबल की
तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है I डरपोक प्रकृति वाले, भयभीत व आशंका से
ग्रस्त व्यक्ति असंमजसता में पड़ कर अवसर का लाभ नहीं उठा पते है और निर्णय न ले
सकने के कारण असफल हो जाते है I खोने का डर, असफलता का भय और आशंका की चिन्ता रखने
वाला व्यक्ति या तो निर्णय ले नहीं पता या फिर इतनी देर से निर्णय लेता है की उसका
लाभ उसे नहीं मिल पता I साहस व्यक्ति में तभी आता है जब उसके पास कुछ करने का
उद्देश्य हो, मकसद हो और उसमें उस कार्य को करने का जनून हो, जिस कार्य के प्रति हमारे मन में हीनभावना होती
है वह कार्य हमसे नहीं हो पता I साहस एक अंतहीन सिलसिला है जिससे हमें हर बार एक
नया आत्मविश्वास मिलता है और ज्यों ज्यों हम नई चुनोतियों को स्वीकार करते है ,
हमारा साहस व हिम्मत बढती जाती है और मन के अन्दर छिपा भय ख़त्म होता चला जाता हे I
अगर हम साहस का मतलब हिम्मत या
कठिन काम करने को ही कहते है तो क्रूर आतंकवादी भी तो दुस्साहसपूर्ण कार्य करते है
परन्तु सच्ची साहसिकता, शुद्ध रीति-नीति, प्रखरता व पवित्रता के साथ मानवीय पथ पर
चलते हुए अंत:प्रेरणा व आत्मविश्वास के साथ कार्यों को संपन्न करना सही मायने में
साहस है I साहस ही ऐसी शक्ति है जो असंभव को संभव बनता है और जो इसका महत्व समझ
लेता है वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करके ही दम लेता है I कौन क्या करता है और
कितना सफल होता है इस बात का महत्व नहीं होता ब्लकि महत्व इस बात का होता है की
किसने कितने लग्न, निष्ठा,विश्वास और आत्मविश्वास के साथ कार्य को संपन्न करने में
अपनी शक्ति लगाई और जितनी मजबूती व शक्ति के साथ अवरोधों को दूर करने तथा दृढभाव
से लक्ष्य की तरफ चलते हुए साहसपूर्ण कदम उठाया I साहस ही सफलता के लक्ष्य तक
पहुंचा सकता है I
परिस्थितियां किसी के भी साथ न तो
सदा अनुकूल रहती है न प्रतिकूल और न ही किसी एक वर्ग या व्यक्ति के किए बनती है इसलिए
सदा अनुकूलता की उम्मीद करना न केवल व्यर्थ है , अनावश्यक, अनुचित व हानिकारक भी
है I उचित ये होगा की आप अपनी साहसिकता, आत्मविश्वास और सहन शक्ति बढ़ाये ,जो
अनिवार्य हो उसे धेर्यपूर्वक सहन करते हुए बुद्धिमत्ता पूर्ण सोच-विचार कर निर्णय
लेते हुए संकट का उचित व परिस्तिथियों के अनुरूप संकट व समस्या का हाल ढूंढे , जो
उचित हो वे उपाय सोचने और प्रयास करने में कोई कमी न रहने दी जाये, हर स्थिति में
संतुलन बनाये रखा जाये, कठिनाइयों व मुसीबतों से दार नहीं. वरन अपनी प्रतिभा से
हाल व उपाय निकालने में बिना समय गवांये लग जाना ही साहस कहलाता है I साहस वह
हथियार है जी प्रतिकूलता को अनुकूलता में
बदलना संभव बनता है I सामान्यत: लोग साहसी व्यक्ति का ही साथ देना चाहते है और उसी
के नेतृत्व में नये चुनौतीपूर्ण व गैर-पारम्परिक तरीके से कार्य को करने और सफलता
प्राप्त करना चाहते है I जिस प्रकार आत्मविश्वास व्यक्ति में क्षमता का संचार करता
है उसी तरह साहस उसमें उर्जा उत्पन्न करता है और व्यक्ति की जीवनचर्या में किए
जाने वाले कार्यों में इसका सर्वाधिक महत्त्व और ये तमाम निर्णय की शक्ति का
केंद्र बिन्दु होता है I
हम वही करना पसंद करते है जिसमे
सफलता सुनिश्चित हो, जोखिम उठाना तो मुर्ख लोगों का काम है, हम हर नया काम हाथ में
लेने से पूर्व कई बार सोचते है ,यकीनन सोचना भी चाहिए परन्तु इतना भी ना सोचे की
साहस का क़त्ल हो जाये ,Iहम ज्यादातर सावधान रहना पसंद करते है और छोटे व तुच्छ
तनाव और संघर्ष से बचने का प्रयास करते है जो एक दिन हमारी नाकामी व असफलता का
मार्ग बन जाता है I किसी भी काम के परिणाम के दार से दहशत में आकर उस चुनौतीपूर्ण
कार्य को हाथ न लगाना सावधानी नहीं बल्कि पलायन की पहचान है I साहसी व पराक्रमी लोगों
की जीवनी पढ़ कर हम निश्चित तौर पर कह सकते है की सावधान होने की बजाय साहसी होना
बेहतर है I तक़दीर हमेशा युवाओं को प्रेयसी होती है क्योंकि युवा हमेशा सावधान कम
और उत्साही ज्यादा होते है तथा वे साहस दिखाकर तक़दीर के स्वामी ही नहीं बादशाह बन
जाते है I
जब हम अनजानी बातों से डरते है,
परिवर्तन से घबराते है तो इसका सीधा अर्थ है की हम नया नहीं लकीर के फ़क़ीर बने रहना
चाहते है, अपने सपनो को पूरा करने से डरते हुए अपनी ज़िन्दगी में बदलाव से पहले
यथास्थितिवादी बने रहना चाहते है जबकि हम भूल जाते है की हर महान आविष्कार इन
अनजानी स्थितियों के प्रति साहस दिखने से ही संभव हुई है I स्वामी विवेकानंदका कथन
कि-“विश्व के अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते है की उनमें समय पर साहस का संचार
नहीं हो पता और वे भयभीत हो उठते हैं I इस प्रकार एक आम आदमी को वास्तविक ज़िन्दगी
जीने के लिए साहस रूपी जज्बे की उतनी ही जरूरत
होती है जितनी किसी महान योद्धा को I साहस हर व्यक्ति में होता है , जरूरत
बस इतनी है कि वो खुद को पहचाने , क्षमता को जाने और पूर्ण निष्ठा, तन्मयता और
एकाग्रता के साथ मंजिल की और एक मजबूत कदम बढ़ने की I
मनुष्य का जीवन एक संघर्ष का
मैदान है ,योग्यता रखने वाला इस संघर्ष की आग में तपकर अपना व्यक्तित्व निखारता व
सफलता प्राप्त करता है I सफलता केवल ईमानदारी व मेहनत करने वाले जुझारू व्यक्ति के
ही सर का ताज बनती है और आलसी, असंजस व निर्णयविहीन व्यक्ति को सफलता ही हासिल
होती है I अवसर हर व्यक्ति के जीवन में आता है ,पता नहीं कब हमारा दरवाजा खटखटा दे
,परन्तु जो जो अवसर को पहचान ले , समझ ले वह लक्ष्य को पा लेता है और इंतजार करने
वालों को वही मिलता है जो कोशिश करने वाले अनावश्यक व अनुपयुक्त समझ कर छोड़ देते
है I लक्ष्य प्राप्ति हेतु मन में तीव्र कामना, दृढता , उत्साह,लग्न व एकाग्रता के
साथ साथ लक्ष्य भेदने, मुकाबला करने और योग्यता
के दम पर उद्देश्य की तरफ बढ़ना होता है I यदि व्यक्ति उद्देश्यों को पाने के लिए
निरंतर निश्चयपूर्वक चिन्तन करता है तो उसे सफलता अवश्य मिलती है I ज़िन्दगी की
कहानी में मनोबल व साहस नामक दो नायकों और निराशा व आलसय नामक खलनायक अपना किरदार
निभाते है और उसी से हमारी सफलता या विफलता तय होती है I
हमें जिस भी वस्तु की चाह होती है उसे पाने के लिए हमारे मन में तीव्र
इच्छा होना ही काफी नहीं , बल्कि उसे प्राप्त करने के लिए उसकी मह्तानुसार हमारा
प्रयत्न भी निरंतर व अथक पुरे आत्मविश्वास
के साथ होना चाहिए , सफलता भाग्य के सहारे नहीं , अपितु वीरता, कुशलता, कर्मठता ,
विश्वास और साहस के बल पर ही मिल सकती है I प्राय: जब भी कोई विद्यार्थी किसी
प्रतियोगिता में असफल होता है तो वह भाग्य को कोसता है , जबकि यह सर्व सिद्ध है की
जैसा हमारा आत्मविश्वास होगा , वैसी ही लक्ष्य की प्राप्ति होगी I साहसी व्यक्ति
आत्मविश्वासी होते है अहंकारी नहीं I आत्मविश्वास उस अनुभूति का नाम है जो व्यक्ति
को उसकी योग्यता से प्राप्त होती है और जिसकी वजह से वह अपना काम पूरा करने की
सामर्थ्य रखता है, मनुष्य को अपनी
कार्यक्षमता, कार्यकुशलता और योग्यता का लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग लेना चाहए न की
अहंकार के रूप में I
इसलिए हाथ पर हाथ रखकर बैठने वाला
आलसी व्यक्ति अपने भाग्य को कोसता है I हाथ की लकीरों से भाग्य कभी नहीं तराशा जा
सकता ,भाग्य मेहनत व कर्मठता बनता है , किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं
होते I निराशा को कभी भी किसी भी हालात में अपने ऊपर हावी न होने दें , क्योंकि मन
के हरे हर है , मन के जीते जीत I दृढ आत्मविश्वास और उच्च मनोबल ही सब सफलताओं की कुंजी होती है , परिश्रम
,अनुशासन ,एकाग्रता और आत्मविश्वास को कोई विकल्प नहीं होता I अत: भाग्य रूपी
सफलता साहसी का ही साथ देती है क्योंकि आत्मविश्वासएक भावना है और उसका कार्य रूप
है साहस I जब हम अपने विचारों को कार्यरूप देने का निश्चय पूर्वक साहस करते है तभी
हमें सफलता रूपी सिद्धि मिलती है I
2/2/2015
very well written
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