Wednesday, 21 January 2015

Time Management Matrix -जब काम हो ज्यादा और वक़्त हो कम

Time Management Matrix -जब काम हो ज्यादा और वक़्त हो कम
दोस्तों,आज हर व्यक्ति की ये शिकायत आम हो गई है की काम ज्यादा है और वक्त कम या यूँ कह दीजिये की व्यस्तता भरी जिन्दगी में कुछ महत्वपूर्ण का करने से चुक जाते है और कम महत्वपूर्ण काम करते रहते है ,कई बार इससे काफी परेशानी ,तनाव या नुकसान उठाना पड़ता है Iहमारा सब का अनुभव कहता है की हम उस दिन सबसे अधिक संतुष्ट होते है जिस दिन हमने सबसे ज्यादा काम निपटाए हों या समय का हमने अच्छे से उपयोग किया हो I हम चाहे लाख कोशिश करले फिर भी कुछ समय ऐसा बर्बाद हो ही जाता है जिसका हम सदुपयोग करके कुछ अति महत्वपूर्ण कार्य कर सकते थेI इसलिए काम ज्यादा और वक्त कम की समस्या से निजात पाने के लिए आज हम एक प्रबंध तकनीक की चर्चा करेगे जो आपके दैनिक व व्यासायिक जीवन में बहुत ही लाभदायक साबित हो सकती हैI वाणिज्य का विद्यार्थी होने के नाते इस समस्या का वैज्ञानिक हल “समय प्रबंधन तकनीक” जो हमारे जीवन का एक हिस्सा है उस पर चर्चा करेंगे I इस समय प्रबंधन तकनीक का प्रयोग करने के लिए हम दो कदम उठाएंगे :
1.      कार्यो को सूचीबद्ध करना : जो कार्य हम करना चाहते है या जो जो काम हमे करने है उनको लिखना ताकि कोई काम छूटने का डर न रहे, ये काफी हद तक वेसी ही सूचि है जेसी हम बाज़ार से सामान लेन जाने से पूर्व बनाते है I ये सूचि बनने के बाद हमें पता होता है की आज हमें क्या क्या काम करना है और प्रत्येक काम हो जाने के बाद उस काम को काटते जाते है ताकि ये पता चल सके की कौन कौन से काम शेष राह गये है और दिन के अंत में रात्री को हम दिनभर किए कामों के आधार पर हमारा संतुष्टि स्तर निकलते हैI जितने अधिक काम पूर्ण उतना ही हमारा संतुष्टि स्तर अधिक होगा I इस सब में एक जरुरी बात ये भी है की हमें सिर्फ पुरे किए गए कामों की संख्या नहीं बढ़नी बल्कि ये ध्यान रखना भी जरूरी है की महत्वपूर्ण कार्य हुआ या नहीं ; कहीं हम गैर आवश्यक काम करते रहे और आवश्यक काम ना कर पाए तो हमारा संतुष्टि स्तर कम ही रहेगा I इस लिए सभी कार्यों को उसकी महता अनुसार क्रम देने हेतु  Stephen R Covey ने अपनी पुस्तक The Seven Habits ofHighly Effective People में Time Management Matrix का प्रयोग दिया I
2.      Time Management Matrix : निम्न चित्र से समझने का प्रयास करेंगे  

1.                   
Urgent and Important
2.                   
Important and Not Urgent
3.                   
Urgent and Not Important
4.                   
Not Urgent and Not Important
 इस उपरोक्त चित्र में चार वर्ग दिखाए गए है :
i.              प्रथम वर्ग : Urgent and Important यानि ऐसा अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण काम जो तुरंत व तत्काल करना होता है I
ii.             दूसरा वर्ग : Important Not Urgent यानि ऐसा काम जो महत्वपूर्ण तो है परन्तु अत्यंत आवश्यक नहीं है , जिसे करना जरूरी तो है परन्तु उसके लिए समय निश्चित करकर उसे पूरा किया जा सकता है I
iii.            तीसरा वर्ग : Urgent Not Important यानि ऐसा कार्य जो अत्यंत आवश्यक तो है परन्तु महत्वपूर्ण नहीं है जिसे हम किसी दुसरे को भी करने के लिए दे सकते है I
iv.           चौथा वर्ग : Not Important Not Urgent यानि ऐसा कार्य जो न तो अत्यंत आवश्यक है और न ही महत्वपूर्ण है, ऐसे कार्य को यदि कार्य की अधिकता हो तो हम टाल भी सकते है I

अब हमनें जो अपने कार्यो की सूचि बनाई है उन सभी कार्यों को इन चारो वर्गों में दिए प्रमाप अनुसार जो कार्य जिस वर्ग में सही बैठता हो उसमें लिखेगेI कौन सा कार्य किस वर्ग में आएगा यह व्यक्ति, समय , परिस्थिति अनुसार तय किया जाता है इसके लिए कोई वैज्ञानिक सूत्र नहीं है अत: व्यक्ति अपनी जरूरत व परिस्थिति अनुसार अपने कार्यो के लिए वर्ग तय कर लेता है I इसप्रकार जब ये तमाम कार्यवाही पूर्ण हो जाने के पश्चात व्यक्ति बिलकुल निश्चित हो जाता  है की कौन सा कार्य पहले करना है और कौन सा बाद में तथा इसी क्रम से हम अपना काम निबटाने लग जाते हैI कार्यों की प्राथमिकता तय हो जाने के बाद  अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण काम सबसे पहले किया जाता है I इस प्रकार दिन के अंत में यदि कोई काम न भी हो पाए तोभी हमें संतुष्टि रहती है की अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण काम तो पुरे कर लिए गए है और जो काम बकाया रह गए है वे कम आवश्यक व कम महत्व के रहे है I

ये प्रक्रिया या विधि हम थोड़े से प्रयास से अपने जीवन में अपना सकते है और समय काम व काम ज्यादा की अनावश्यक समस्या से छुटकारा पा सकते है, प्रारम्भ में हमें शायद इसमें थोड़ी परेशानी आये मगर कुछ ही समय बाद आपको ये रोचक लगेगी और आप आवश्यक कार्य के समय पर न होने के कारण होने वाले नुकसान व परेशानी से बच जाओगे तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रबंधन भी कर सकोगे I

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