आत्मविस्मृत समाज और हम : डा. शीशपाल हरडू
भूलना मानव की सबसे बड़ी कमजोरी है और याद रखना
उसकी मज़बूरी I एक कहावत है कि जो सच है उसको याद रखने की जरूरत नहीं रहती और जो
झूठ है वो याद रह नहीं सकता I परन्तु फिर भी व्यक्ति आज की बात को भुला कर कल की
उधेड़बुन में लग जाता है और उसे विस्मृति नहीं रहती कि कल क्या घटा था I सुखद क्षण
व्यक्ति भूल जाता है और दुखद क्षण को भूलना चाहता है I हमारे जीवन में प्रत्येक
क्षण कुछ न कुछ घटित अवश्य होता है और वो सब याद रखना न तो संभव होता है और न ही
तर्कसंगत I परन्तु ज़िन्दगी के कुछ लम्हें, कुछ पल ऐसे होते है जिनको याद रखना
आवश्यक होता है लेकिन भौतिकवादिता की अंधी दौड़ में हम हमारे कुछ खास अहम बातों को
भी भूल रहे है I यहाँ तक की आज लोग अपने पूर्वजों को, अपने इतिहास को, अपने समाज
भी भूल रहे है, जबकि हमें अपनी विरासत, अपनी पहचान, अपनी शक्ति, अपनी कला को अगर
हम याद नहीं रखेंगे तो हम अपना सब कुछ खो देंगे I इतिहास हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा
देता है और कुछ सिखने का सबक भी I
विस्मृति राम भक्त हनुमान को भी हो गई थी जब सीता
माता की खोज में समुन्द्र लाँघ कर लंका जाने बारे वानर सेना में विचार मंथन चल रहा
था तो हनुमानजी एक तरफ चुपचाप खड़े थे तब जामवंत ने हनुमानजी को उनका बल याद
करवाया, तब जाकर वे समुन्द्र लाँघ कर सीता माता की खोज करके आये I इसीप्रकार
महाभारत के युद्ध के मैदान में अर्जुन को भी विस्मृति हो गई और अपने सारथि बने भगवान
श्रीकृष्ण से पूछने लगे कि- मै कौन हूँ और मेरा कर्तव्य क्या है तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश देकर
स्मृति करवाई, तभी अर्जुन युद्ध करने को तैयार हुए और तब जाकर धर्म की अधर्म पर विजय
संभव हो पाई I
आज हमारा समाज खुद को भुला बैठा है, अपने पूर्वजो
को बिसराए बैठा है, अपनी विरासत को खोये बैठा है और अपनी पहचान को गायब कर बैठा है
I आज हमारा समाज बिखरा हुआ अलग अलग जगह थोड़ी थोड़ी संख्या में बैठा हुआ है I आज
हमारा समाज शिक्षा मे, व्यापार व नोकरी के क्षेत्र पिछड़ा हुआ है I आज हमारे समाज
में एकता व सहयोग का अभाव, नशे व आपसी मनमुटाव का प्रभाव है I हम अपनी विरासत को,
इतिहास को, पूर्वजों को भुला चुके है I आज हम खुद को ही भूले हुए है और जो समाज आत्मविस्मृति
की स्थिति में चला जाता है तो उसकी उन्नति व विकास थम जाता है I इसलिए विस्मृति से
स्मृति की अवस्था में लेन हेतु उसको
झंकझोरने, जगाने और अपनी पहचान याद करवाने के लिए ही हरडू मिलन मिशन का गठन किया
गया है और अपनी अल्प अवधि में ही समाज को संगठित करने में सफलता पाई है I अब जरुरत
है समाज मे शिक्षा का प्रचार प्रसार करने की , नशे व कुरीतियों के खिलाफ मुहीम
छेड़ने की, आपसी मतभेद ख़त्म करवाने की, सहयोग व सहकार की भावना पैदा करने की I
आओ हम सब मिलकर संकल्प ले की विस्मृत समाज की आत्मा
को जगाये, कुरीतियों को मिटाए, शिक्षा का दीपक हर आँगन में जलाये, मतभेद भगाए और
समाज को शिक्षित, समर्थ, सक्षम, सुदृढ़ व संगठित बनाये I
14/04/2015